लेखनी कहानी -05-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 18
भव्या अचानक अपने कमरे में आ गयी हिमानी अपनी एढ़ी पर बाम लगा रही थी ।
"क्या हुआ दीदी पैर दर्द कर रहा है क्या "भव्या ने घुसते ही पूछा
"ओह, भव्या तूने तो डरा दिया मुझे " हिमानी ने डर से उछलते हुए कहा
"नही बस थोड़ा सा एड़ी में दर्द था तो सोचा बाम लगा कर लेट जाउंगी तो ठीक हो जाएगा " हिमानी ने कहा
भव्या उसके पास आयी और बोली " दीदी आज आप का मूड इतना अजीब क्यू था उन सेलनियों के साथ , आपने उन्हें अपना नंबर भी नही दिया वैसे तो आप अपना नंबर दे देती हो ताकि कोई गुमे तो आपको फ़ोन कर सके कुछ हुआ था क्या "
"तू अपना काम कर मुझे मत सिखा किससे बात करनी है और किस से नही मैं तुझसे बेहतर जानती हूँ किससे कैसे बात करनी है और वो शहर के लड़के है उन्हें नंबर देना सही नही समझा मेने और हाँ तू कुछ ज्यादा ही फ्री नही हो रही थी उस लड़के लव के साथ बता रही हूँ उनसे दूर रहना " हिमानी ने कहा
"दीदी मैं जानती हूँ आप किस वजह से नाराज़ हो, आप सुबह वाले हादसे की वजह से परेशान हो ना और फिर आपको उसी लड़के के साथ काम मिला जिस वजह से आप और गुस्सा हो रही हो " भव्या ने कहा
हिमानी उसके मुँह से ये सब सुन चौक गयी और बोली " तुझे कैसे पता की वो लड़का उन्ही में से एक था जो सुबह मुझसे मिला था "
"दीदी वो जो लड़की थी ना श्रुति उसने मुझे बताया कि आज आप का रावय्या बहुत अजीब अकड़ू किस्म का था उन लोगो के साथ जब उसने आपका मंदिर में दूसरा हस्ता मुस्कुराता रावय्या देखा तो वो मुझसे पूछने लगी तब मेने उसे बताया कि मेरी दीदी तो हमेशा से ही ऐसी है हसमुख सबका दिल जीतने वाली तब मेने उसे बताया कि आज एक लड़के के साथ सुबह सुबह उनकी तू तू मैं मैं हो गयी थी शायद उसी वजह से वो इस तरह बर्ताव कर रही होंगी। तब जाकर उस श्रुति ने बताया की वो लड़का कोई और नही उन्ही का दोस्त जिसकी हरी आँखे थी और जिसका नाम हंशित था वही वो लड़का था जो तुम्हारी दीदी से टकराया था " भव्या और कुछ कहती तब ही हिमानी बोल पड़ी
अच्छा तो तुम दोनों ये बातें कर रही थी और मेरे आने पर खामोश हो गयी थी
जी दीदी हम यही बातें कर रहे थे, अब गुस्सा थूक भी दो दीदी देखो ना वो लड़का हंशित उसका नाम भी कितना प्यारा है और वो खुद भी कितना खूबसूरत है उसकी हरी आँखे बिलकुल ऋतिक रोशन की तरह और उस पर हलकी हलकी शेव और बॉडी बिलकुल हीरो जैसी कितना हैंडसम लड़का है । अब छोड़ भी दो गुस्सा करना और तुम्हारी और उसकी पहली मुलाक़ात भी कितनी अजीब सी हुयी जैसे फिल्मो और ड्रामो में होती है नायक नायिका की।
तुम दोनों एक साथ और ऊपर से फूलों की बरसात दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखे डाले आस पास क्या हो रहा है इस बात की परवाह किए बिना सिर्फ एक दूसरे की तेज होती धड़कनो के साथ एक दूसरे को निहारते हुए सुद बुद खोये देख रहे होगे वाह क्या रोमांटिक सीन होगा काश की मैं वहा होती। भव्या कुछ और कहती तब ही हिमानी बोली " चुप एक दम चुप जो मुँह में आये जा रहा है बके जा रही है नाम मत ले उसका मेरे सामने बदतमीज कही का "
क्या दीदी बदतमीज तो नही लगा था मुझे कितनी प्यार से बात की थी उसने मुझसे दीदी मेने देखा आप और उसकी जोड़ी बहुत ही प्यारी लग रही थी । भव्या ने फिर कहा
"भव्या चुप हो जा वरना उलटे हाथ का एक खींच कर तेरे इन गालो पर मारूंगी सारी प्यार मोहब्बत की बातें करना भूल जाएगी वो रही तेरी चादर उसे ओढ़ और सोजा तेरे कॉलेज में क्या अब यही पढ़ाया जा रहा है जो तू मुझसे यही बातें करती रहती है " हिमानी ने कहा
"ओह दीदी तुम कितनी अनरोमांटिक हो, कुछ तो तुम्हे भी ज़रूर हुआ है उसे देख कर, तभी तो उसका नाम आते ही चिढ़ जाती हो " भव्या ने कहा
"मैं इसलिए चिढ़ जाती हूँ क्यूंकि जब जब तू उसका नाम लेती है मुझे सुबह वाला हादसा याद आ जाता है शहर का बन्दर कही का " हिमानी ने कहा
"ओह दीदी बन्दर तो ना कहो उस लड़के को बंदर तो वो है जिसके साथ तुम्हे बांधा जा रहा है वो तो राजकुमार जैसा है जो हर लड़की के सपनों में आता होगा और कही ना कही तुम्हारी आँखों ने भी ऐसे ही राजकुमार के सपने देखे होंगे और देखो मिल कौन रहा है वो सुरेन्द्र भोंदू सा " भव्या ने कहा
"भव्या तेरा क्या करू जा जाकर सोजा और मुझे भी सोने दे सुबह फिर उन शहरी बंदरों को लेकर जाना है पता नही कब पीछा छोडेंगे वो लोग मेरा अगर मजबूरी नही होती तो कभी भी नही करती " हिमानी ने कहा
"अच्छा दीदी सो रही हूँ लेकिन तुम याद रखो तुम जब आँखे बंद करोगी तो तुम्हे उसी का चेहरा नज़र आएगा ना की उस सुरेन्द्र का और ऐसा क्यू होगा ये तुम जानती हो अच्छा गुड नाईट " भव्या ने कहा और करवट बदल कर सो गयी
हिमानी के पास कोई जवाब नही था उसने अपने दोनों हाथ अपने सीने पर रखे और आँखे बंद की लेकिन आँखे बंद करते ही उसे हंशित का चेहरा नज़र आया और उसकी आँखों के सामने वो मंज़र आ गया जब वो पैर फिसलने की वजह से उसकी बाहो में थी और उसकी नज़र सिर्फ उसकी उन हरी आँखों को देख रही थी ।
जो कुछ कहना चाहती थी । तब ही हिमानी ने आँखे खोल ली और बोली " हे! भगवान ये क्या हो रहा हे मुझे आँखे बंद करने पर उस बन्दर का चेहरा नज़र क्यू आ रहा हे भव्या की बात को कुछ ज्यादा ही सर पर सवार कर लिया हे मेने ये कह कर उसने करवट बदल ली लेकिन इस बार वो सुबह वाले हादसे को याद करने लगी अब उसके चेहरे पर एक हलकी सी मुस्कान भी थी उसे समझ नही आ रहा था की उसे क्या हो रहा हे क्यू आँखे बंद करते ही उसका ख्याल उसके ज़हन में आ रहा था ।
उधर रुपाली जी जिन्हे नींद नही आ रही थी और वो उठ कर हंशित के कमरे में चली गयी और उसकी अलमारी को खोल कर उसमे रखे उसके कपडे और घड़ी को देखने लगी प्यार भरी नज़रो से। उन्होंने उसकी एक शर्ट निकाली और उसे सूंघ कर सीने से लगा लिया और बोली " मेरा बेटा, उसकी खुशबू को महसूस कर सकती हूँ जल्द आ जाओ तुम्हारे बिना ये घर कितना सूना हो गया हे तुम्हे मालूम नही ये 24 घंटे तुम्हे देखे बिना ऐसे गुज़रे मानो 24 साल, ना जाने इस बार क्यू तुम्हारी जुदाई मुझसे बरादाश नही हो रही हे , दिल में एक अजीब सा डर हे मानो कुछ होने वाला हे , नही नही ऐसा कुछ नही होगा माँ हूँ शायद इसलिए कुछ ज्यादा ही सोच रही हूँ।
ये कह कर उन्होंने वो शर्ट अपने सीने से लगायी लगायी अपने कमरे में आकर लेट गयी । हंसराज जी खर्राटे लेकर सो रहे थे उन्हें देख कर वो अपने आप से बोली " ये कितने आराम से सो रहे हे इन्हे तो अपने बेटे की कोई परवाह ही ना हो जैसे और एक मेरा दिल हे 24 घंटे में ही बेटे की याद में तड़प रहा हे इन्होने तो उसे ना जाने कब आखिरी बार गले लगाया था । ना जाने कौन सा पत्थर दिल भगवान ने इनके दिल में डाला हे जिसमे अपने बेटे के लिए उसके सपने के प्रति कोई भावना ही नही "
ये कह कर वो दोबारा लेट गयी नींद आने की आस में आँखे बंद करके ।
आगे कि कहानी जानने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ धारावाहिक के अगले भाग में।
Seema Priyadarshini sahay
06-Aug-2022 09:13 PM
Nice post 👌
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Madhumita
05-Aug-2022 02:59 PM
Nice 👍🏼
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Renu
05-Aug-2022 11:11 AM
👍👍 मां की ममता ऐसी ही होती हैं बच्चे जब भी थोड़ी देर के लिए उनसे दूर होते हैं उन्हें वही वक्त बरसों का अहसास कराता है।
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